हम कुछ मित्रो का एक घुमक्कड़ी ग्रुप है जिसमे हम अक्सर सामूहिक मीटिंग का प्रोग्राम बनाते है तो सर्व सम्मति से अबकी बार की मीटिंग का प्रोग्राम बना चूड़धार महादेव का जो कि हिमाचल प्रदेश मे है
संदीप पंवार उर्फ जाट देवता, मनु प्रकाश त्यागी ,अनिल भाई कमल कुमार सिंह ,नरेश भाई लोकेंद्र भाई ,और उनके साले साहब देल्ही से जाने वाले थे डॉ अनुभव कुमार पठानकोट से निकलने वाले थे और मै जाने वाला था बाइक पे मेरे पास बजाज प्लेटिना बाइक है
तो हुआ यूं कि दोपहर 2 बजे तक अपने मेडिकल कॉलेज मे जॉब करके फ्री हुआ और 5 बजे का अलार्म लगा कर सोने चला गया 5 बजे उठा स्नान किया बाइक उठायी बाबा का नाम लिया और निकल पड़ा मंज़िल की ओर
आज की मंजिल थी पानीपत डॉ बलकार जी के यहां, जाकर रुकना था .बलकार जी यूनिवर्सिटी मे वनस्पति विज्ञान के विभागाध्यक्ष है
मेरी इच्छा थी कि मैं बागपत होते हुए पानीपत जाऊ क्योंकि इस रास्ते से मै कई बार गुज़रा था फिर भी मैंने सलाह के लिए सचिन जांगड़ा भाई के पास फ़ोन किया और उन्होंने बताया कि शामली वाला रास्ता बेहतर है और रास्ते में उनसे मिलने का मौका भी मिलेगा तो शामली वाले रास्ते से जाना तय हुआ
.मेरठ शहर की भीड़ भाड़ से निकलते निकलते 6 बज गए .बाईपास पार होते ही शानदार मेरठ शामली रोड आ गया और लगभग घंटे भर मे शामली आ गया .शामली मे घुसते ही 4 किलोमीटर लंबा जाम मिला पर अपुन के पास बाइक थी तो धीमे धीमे ही सही जाम से निकल कर कैराना रोड पकड़ लिया.ये रोड इतना अच्छा तो नही था पर बाइक पर कोई खास दिक्कत नही हुई जल्दी ही कैराना बाईपास करके सनौली खुर्द जा पहुँचा जहाँ सचिन जांगड़ा भाई से मुलाकात हुई सचिन भाई ने समोसे बर्फी ठंडा गरम सब कुछ खिलाया पिलाया.खा पीकर थोडी देर यात्रा चर्चा करके मैंने सचिन भाई से आज्ञा ली और पानीपत के लिए निकल पड़ा .रास्ते में रिलायंस का पेट्रोल पंप मिला तो बाइक का पेट भी भर लिया जल्दी ही पानीपत पार करके टोल प्लाजा पहुच गया और गुरुदेव बलकार जी को कॉल किया .गुरुदेव ने पता बहुत ही आसान तरीके से पता बताया और अपुन जा पहुँचा रास्ते में गुरुदेव मिल गए और दोनों साथ ही गुरुदेव के घर जा पहुँचे लगभग 9 बजे.
सब लोग बहुत अपनेपन से मिले .चाय के दौर के बाद विभिन्न विषयों पे गुरुदेव और नीलम भाभी से व्यापक चर्चा हुई .चर्चा के बाद 11 बजे मैंने खाना खाया और उसके बाद गुरुदेव के कंप्यूटर पे चूड़धार महादेव के आस पास मिलने वाले पौधों पर चर्चा हुई .इस सब मे रात का 1 बज गया और फिर मैं सुबह 3 बजे का अलार्म लगाकर सोने चला गया. 3 बजे अलार्म बजा गुरुदेव भी उठ आये और एक गिलास नींबू पानी पीकर आगे यात्रा की शुरुआत कर दी हालांकि गुरुदेव ने चाय नास्ते के लिए काफी आग्रह किया पर मै सुबह सिर्फ निम्बू पानी ही पीता हु
पानीपत से निकल कर करनाल होते हुए कुरुक्षेत्र पहुचा .वहां पहुच कर अनिल भाई को फ़ोन किया तो ये लोग कुरुक्षेत्र से 10 मिनेट पहले निकल चुके थे ये लोग कार से सोलन होकर जा रहे थे
मैंने कुरूक्षेत्र के होटल मे नास्ता किया और आगे यात्रा शुरू कर दी आगे शाहबाद मार्कण्डेय पहुच कर मैने सहज़ादपुर वाला रास्ता ले लिया और नाहन होते हुए 8 बजे मै रेणुका जी जा पहुँचा और आधे घंटे मे दर्शन करके फ्री होकर नौहराधार के लिये निकल पड़ा
लगभग डेढ़ घंटे मे संगह गया और वहां पहुच कर चाय पी और पुनः यात्रा आरंभ कर दी यहां पहुँच मैंने देवा मानल वाला छोटा रास्ता पकड़ा .पहले 12 किलोमीटर तो रास्ता ठीक था पर उसके बाद कच्चा था और उस पर पत्थर पड़े थे तो अगले 15 किलोमीटर बड़ी मुश्किल से कटे.ख़ैर 12 बजे मै भी नोहराधार पहुच गया बाकी लोग 10 बजे ही पहुच गए थे. कुछ लोगों ने ट्रेक चढ़ना शुरू कर दिया था पर संदीप भाई लोकेंद्र भाई और डॉ अनुभव मेरा इंतज़ार कर रहे थे
मैंने जल्दी जल्दी 2 परांठे खाये और हम लोग भी ट्रेक पे निकल लिए
चूड़धार ट्रेक लगभग 20 किलोमीटर का है मैं धीमा चलता हूं बाकी लोग तेज़ चलते है तो आगे निकल गए लगभग 3 घंटे बाद हम लोग मिले हमने फिर नास्ता किया और फिर चल पड़े मंज़िल को और
2 घंटे चलने के बाद हमे आगे वाले साथी भी मिल गए और हम साथ साथ चलने लगे
एक घंटे बाद उपयुक्त जगह देख कर फ़ोटो सेशन हुआ और पुनः चढ़ाई शुरू कर दी
सबसे पीछे मै अनिल भाई और कमल भाई थे
6 बजे अनिल भाई रूक गए और बहुत ही बुरी तरह कांप रहे थे उनको ठंड लग गयी थी और मेरे भी दोनों हाथों की उंगलियां सूज गयी थी .ख़ैर अनिल भाई ने कुछ कपड़े पहने और हम लोगो ने आगे चलना शुरू किया.
चढ़ाई के आखिरी 2 किलोमीटर बहुत खतरनाक और कठिन है जिसमे शरीर की सारी ताकत निकल जाती है
हम लोगों को कुछ लोकल लोगो का साथ मिला और हम लोग भी मंदिर तक पहुच गए
वहां जाकर हम लोगो को साथ वाला कोई नही मिला तो हमने इन्हें ढूंढा पर कोई मिला नही .इधर अनिल भाई की तबियत बिगड़ रही थी और मुझ पर थकान हावी हो रही थी और मै चिड़चिड़ा हो गया था ये मेरी गलत बात थी जिसके लिए मैंने बाद में सार्वजनिक रूप से माफी मांग ली
खैर मुझे संदीप भाई की आवाज सुनाई दी और मैंने उनसे नाराजगी जताई. ख़ैर ये लोग खाना खा रहे थे तो मैं और अनिल भाई इनका बाहर इंतज़ार करने लगे .ये लोग खाना खाकर कमल भाई को कमरे का रास्ता समझा कर निकल गए.
कमल भाई को रास्ता सही समझ नही आया और हम लोग आधे घंटे तक खोजते रहे
फिर अचानक संदीप भाई प्रकट हुए और हमने चैन की सांस ली और हम लोग कमरे तक पहुचे
कमरा बहुत छोटा था जिसमे हम 24 लोगो को जमीन पर सोना था एक कंबल ऊपर एक कंबल नीचे
ठंड बहुत ज्यादा थी तो नींद ही नही आई
रविवार सुबह पहली किरण के साथ हम लोग उठे फोटोग्राफी की और मंदिर दर्शन करने निकल लिए
दर्शन करने के उपरांत मैंने और अनिल भाई ने वापस उतरने का प्रोग्राम बनाया क्योंकि अनिल भाई की तबियत खराब थी और मेरी रात को पोस्टिंग थी
बाकी लोग ऊपर दर्शन करने निकल गए
मैं और अनिल भाई लगातार 5 घंटे चलकर नीचे पहुचे और मै तुरंत बाइक लेकर मेरठ के लिए निकल पड़ा
नोहराधार से रेणुका जी वहां से पौंटा साहिब होकर सहारनपुर होकर रात 10 बजे मेरठ पहुच गया और नहा धोकर अपनी पोस्टिंग करने चला गया
इस तरह 56 घंटे मे लगभग 900 km बाइक चलाई गई 1300 रुपये का खर्च आया जिसमे 900 रुपये का पेट्रोल लगा
चढाई के रास्ते में ओले पड़े मिले
सूर्योदय का फोटो नरेश भाई के कैमरे से